पंच बद्री
योग्धयान बद्री 1920मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह लगभग 1500 वर्ष पुराना है।
मुख्य आकर्षण
तप्त कुंड
यह कुंड अलकनंदा नदी के किनारे स्थित प्राकृतिक गंधक का सोता ( गर्म पानी ) का कुंड है। पूजा अर्चना के पहले श्रद्धालु इस कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। इसके उपरांत मंदिर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस कुंड का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है।
योग्धयान बद्री 1920मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह लगभग 1500 वर्ष पुराना है।
मुख्य आकर्षण
तप्त कुंड
यह कुंड अलकनंदा नदी के किनारे स्थित प्राकृतिक गंधक का सोता ( गर्म पानी ) का कुंड है। पूजा अर्चना के पहले श्रद्धालु इस कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। इसके उपरांत मंदिर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस कुंड का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है।
हेमकुंड साहिब
यह कुंड बद्रीनाथ से 43 किलोमीटर दूर फूलों कि घाटी समीप स्थित है। यह कुंड सिक्खों का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह माना जाता है कि दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह अपने पिछले जनम में इसी कुंड के तल में बैठकर गहन ध्यान में लीन होकर ईश्वर में विलीन हुए थे। इस कुंड के पास में ही लक्ष्मण मंदिर है जहां इन्होंने तपस्या की थी।
यह कुंड बद्रीनाथ से 43 किलोमीटर दूर फूलों कि घाटी समीप स्थित है। यह कुंड सिक्खों का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह माना जाता है कि दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह अपने पिछले जनम में इसी कुंड के तल में बैठकर गहन ध्यान में लीन होकर ईश्वर में विलीन हुए थे। इस कुंड के पास में ही लक्ष्मण मंदिर है जहां इन्होंने तपस्या की थी।
ब्रह्म कपाल
यह अलक नंदा नदी के किनारे स्थित है। यहां हिन्दू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों का अंतिम क्रियाकर्म करते हैं।
यह अलक नंदा नदी के किनारे स्थित है। यहां हिन्दू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों का अंतिम क्रियाकर्म करते हैं।
नीलकंठ
इसको गढ़वाल की रानी भी कहते हैं। यह चोटी बद्रीनाथ के ऊपर स्थित है।
इसको गढ़वाल की रानी भी कहते हैं। यह चोटी बद्रीनाथ के ऊपर स्थित है।
माणा गांव
इस गांव में इंडो - मंगोलियन जनजाति निवास करती हैं। माणा गांव तिब्बत के पहले आखिरी भारतीय गांव है। यहीं व्यास गुफा है। सरस्वती नदी के ऊपर बना प्राकृतिक भीम पुल भी स्थित है। इसके समीप ही वसुंधरा झरना है जो 122 मीटर ऊंचाई है। यह सब मिलकर बहुत मनमोहक आंनद दृश्य उत्पन्न करता है।
इस गांव में इंडो - मंगोलियन जनजाति निवास करती हैं। माणा गांव तिब्बत के पहले आखिरी भारतीय गांव है। यहीं व्यास गुफा है। सरस्वती नदी के ऊपर बना प्राकृतिक भीम पुल भी स्थित है। इसके समीप ही वसुंधरा झरना है जो 122 मीटर ऊंचाई है। यह सब मिलकर बहुत मनमोहक आंनद दृश्य उत्पन्न करता है।
माता मूर्ति
यह मंदिर भगवान बद्रीनाथ की मां को समर्पित है।
यह मंदिर भगवान बद्रीनाथ की मां को समर्पित है।
सतोपंथ
यह एक तिकोना झील है जिसकी परिधि एक किलोमीटर है। इस झील की खासियत यह है कि यह समुद्रतल से 4,402मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका में हिन्दू धर्म के त्रिदेवों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम पर आधारित है। माना जाता है कि तीनों देवता तीन कोनो पर विराजते हैं। लेकिन यहां जाने का रास्ता काफी मुश्किल है। यहीं पर अलकनंदा और लक्ष्मण गंगा का संगम स्थल भी है जिसको गोविंदघाट के नाम से जाना जाता है। इसके पास गुरु गोविंद सिंह का गुरुद्वारा भी है।
यह एक तिकोना झील है जिसकी परिधि एक किलोमीटर है। इस झील की खासियत यह है कि यह समुद्रतल से 4,402मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका में हिन्दू धर्म के त्रिदेवों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम पर आधारित है। माना जाता है कि तीनों देवता तीन कोनो पर विराजते हैं। लेकिन यहां जाने का रास्ता काफी मुश्किल है। यहीं पर अलकनंदा और लक्ष्मण गंगा का संगम स्थल भी है जिसको गोविंदघाट के नाम से जाना जाता है। इसके पास गुरु गोविंद सिंह का गुरुद्वारा भी है।
जोशीमठ
शरद ऋतु में श्री बद्रीनाथ जी इसी मठ में आकर विश्राम करते हैं। यह मठ अलकनंदा और धौलीगंगा के संगम स्थल से कुछ ऊंचाई पर स्थित है। यह उन चार मठों में से एक है जिसका निर्माण आदि शंकराचार्य ने किया था।
शरद ऋतु में श्री बद्रीनाथ जी इसी मठ में आकर विश्राम करते हैं। यह मठ अलकनंदा और धौलीगंगा के संगम स्थल से कुछ ऊंचाई पर स्थित है। यह उन चार मठों में से एक है जिसका निर्माण आदि शंकराचार्य ने किया था।
पंचप्रयाग
पंचप्रयाग देवप्रयाग, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग का संगम स्थल है। बद्रीनाथ दर्शन के समय अगर श्रद्धालु चाहें तो इन पांचों स्थानों के दर्शन भी करते सकते हैं।
पंचप्रयाग देवप्रयाग, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग का संगम स्थल है। बद्रीनाथ दर्शन के समय अगर श्रद्धालु चाहें तो इन पांचों स्थानों के दर्शन भी करते सकते हैं।
श्रीनगर
यह गढ़वाल कि पुरानी राजधानी भी है। इसके अलावा श्रीनगर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक केन्द्र भी है। यहां कमलेश्वर और किलकेश्चर मंदिरों के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
मंदिर खुलने का समय: मंदिर बसंत पंचमी(फरवरी) के दिन खुलता है। सुबह 4बजे से दोपहर तक और अपराह्न 3-9 बजे तक। यह मंदिर विजयादशमी(मध्य अक्टूबर) के दिन बंद होता है।
धन्यवाद
यह गढ़वाल कि पुरानी राजधानी भी है। इसके अलावा श्रीनगर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक केन्द्र भी है। यहां कमलेश्वर और किलकेश्चर मंदिरों के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
मंदिर खुलने का समय: मंदिर बसंत पंचमी(फरवरी) के दिन खुलता है। सुबह 4बजे से दोपहर तक और अपराह्न 3-9 बजे तक। यह मंदिर विजयादशमी(मध्य अक्टूबर) के दिन बंद होता है।
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