चार धाम यात्रा की उत्पत्ति के संबंध में कोई निश्चित मान्यता या सक्षय उपलब्ध नहीं है। लेकिन चार धाम भारत के चार धार्मिक स्थलों का एक समूह है। इस पवित्र परिधि के अन्तर्गत भारत के चार दिशाओं के महत्वपूर्ण मंदिर आते हैं।
ये मंदिर हैं - पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और बद्रीनाथ इन मंदिरों को 8वी सदी में आदि शंकराचार्य ने एक सूत्र में पिरोया था। इन चारों मंदिरों में से किसको परम स्थान दिया जाए इस बात का निर्णय करना मुश्किल है। लेकिन इन सब में बद्रीनाथ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और अधिक तीर्थयात्रियों द्वारा दर्शन करने वाला मंदिर है।
उत्तराखंड के चार धाम को छोटा चार धाम कहा जाता है। इन चार धामों में बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री शामिल हैं। इन सभी चार धामों में बद्रीनाथ को ज्यादा महत्व और लोकप्रिय माना जाता है। यह चारों धाम हिन्दू धर्म में अपना अलग और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्य में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्थलों को छोटा विशेषण दिया गया है जो आज भी यहां बसे इन देवस्थानों को परिभाषित करते हैं। छोटा चार धाम के दर्शन के लिए 4000मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई तक की चडाई करनी पड़ती है। यहां का रास्ता कहीं सरल तो कहीं बहुत कठिन है।
ये मंदिर हैं - पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और बद्रीनाथ इन मंदिरों को 8वी सदी में आदि शंकराचार्य ने एक सूत्र में पिरोया था। इन चारों मंदिरों में से किसको परम स्थान दिया जाए इस बात का निर्णय करना मुश्किल है। लेकिन इन सब में बद्रीनाथ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और अधिक तीर्थयात्रियों द्वारा दर्शन करने वाला मंदिर है।
उत्तराखंड के चार धाम को छोटा चार धाम कहा जाता है। इन चार धामों में बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री शामिल हैं। इन सभी चार धामों में बद्रीनाथ को ज्यादा महत्व और लोकप्रिय माना जाता है। यह चारों धाम हिन्दू धर्म में अपना अलग और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्य में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्थलों को छोटा विशेषण दिया गया है जो आज भी यहां बसे इन देवस्थानों को परिभाषित करते हैं। छोटा चार धाम के दर्शन के लिए 4000मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई तक की चडाई करनी पड़ती है। यहां का रास्ता कहीं सरल तो कहीं बहुत कठिन है।
धर्म ग्रथों के अनुसार।
भारतीय धर्म के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिन्दुओं के सबसे पवित्र स्थान हैं। इनको चारधाम के नाम से भी जाना जाता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि को पुण्यात्मा यहां के दर्शन करने में सफल होते हैं उनका न केवल इस जनम का पाप धुल जाते हैं। इस स्थान संबंध के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थल है जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं। तीर्थयात्री इस यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री (यमुना), गंगोत्री (गंगा) के दर्शन करते हैं। यहां से पवित्र जल लेकर श्रद्धालु केदारेश्वर पर जलाभिषेक करते हैं। इन तीर्थयात्रियों के लिए परम्परागत मार्ग इस प्रकार:-
हरिद्वार - ऋषिकेश - देवप्रयाग - टिहरी - धरासु - यमुनोत्री - उत्तरकाशी - गंगोत्री - त्रीयुग्नारायन - गौरीकुंड - केदारनाथ।
यह मार्ग परम्परागत हिन्दू धर्म में होने वाले पवित्र परिक्रमा के समान है। जबकि केदारनाथ जाने के लिए दूसरा मार्ग ऋषिकेश से होते हुए देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्टमुनी, गुप्तकाशी और गौरीकुंड से होकर जाता है केदारनाथ के समीप ही मंदाकिनी का उद्गम स्थल है। मंदाकिनी नदी रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में जाकर मिलती है।
भारतीय धर्म के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिन्दुओं के सबसे पवित्र स्थान हैं। इनको चारधाम के नाम से भी जाना जाता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि को पुण्यात्मा यहां के दर्शन करने में सफल होते हैं उनका न केवल इस जनम का पाप धुल जाते हैं। इस स्थान संबंध के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थल है जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं। तीर्थयात्री इस यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री (यमुना), गंगोत्री (गंगा) के दर्शन करते हैं। यहां से पवित्र जल लेकर श्रद्धालु केदारेश्वर पर जलाभिषेक करते हैं। इन तीर्थयात्रियों के लिए परम्परागत मार्ग इस प्रकार:-
हरिद्वार - ऋषिकेश - देवप्रयाग - टिहरी - धरासु - यमुनोत्री - उत्तरकाशी - गंगोत्री - त्रीयुग्नारायन - गौरीकुंड - केदारनाथ।
यह मार्ग परम्परागत हिन्दू धर्म में होने वाले पवित्र परिक्रमा के समान है। जबकि केदारनाथ जाने के लिए दूसरा मार्ग ऋषिकेश से होते हुए देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्टमुनी, गुप्तकाशी और गौरीकुंड से होकर जाता है केदारनाथ के समीप ही मंदाकिनी का उद्गम स्थल है। मंदाकिनी नदी रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में जाकर मिलती है।
पौराणिक धारणा
पौराणिक कथाओं में यह उल्लिखित है कि पीड़ित मानवता को बचाने के लिए जब देवी गंगा ने धरती पर आना स्वीकार किया तो हलचल मच गई, क्योंकि पृथ्वी गंगा के प्रवाह को सहन करने में असमर्थ थी। फलतः गंगा ने खुद को 12 भागों में विभाजित के दिया इन्हीं के से अलकनंदा भी एक है जो बाद में भगवान का निवास स्थान बना जिसको बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ पंच बद्री में एक है।
पौराणिक कथाओं में यह उल्लिखित है कि पीड़ित मानवता को बचाने के लिए जब देवी गंगा ने धरती पर आना स्वीकार किया तो हलचल मच गई, क्योंकि पृथ्वी गंगा के प्रवाह को सहन करने में असमर्थ थी। फलतः गंगा ने खुद को 12 भागों में विभाजित के दिया इन्हीं के से अलकनंदा भी एक है जो बाद में भगवान का निवास स्थान बना जिसको बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ पंच बद्री में एक है।
धन्यवाद
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