पौड़ी गढ़वाल जिला उत्तराखंड राज्य का मुख्यालय है. जो कि 5440वर्ग कि.मी में फेला हुआ है,यह जिला एक गोले के रूप में बसा है जिसके उत्तर में चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल है तथा दक्षिण में उधम सिंह नगर, पूरब में अल्मोड़ा और नैनीताल और पश्चिम में देहरादून और हरिद्वार स्थित है. हिमालय पर्वत की श्रंखला इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते है और जंगल बड़े बड़े पहाड़ पौड़ी की सुंदरता को बहुत मनमोहक बनाते है. पौड़ी को सन 1840 में जिला घोषित किया गया था. पौड़ी जिले में विधान सभा क्षेत्र की संख्या 6 है. यहां का पिनकोड 246001 है तथा  यहां की कार पर  UA12 नंबर होता है. संपूर्ण वर्ष में था का मौसम बहुत ही सुहावना रहता है , यहां की प्रमुख नदियों में अलकनंदा, हेंवल और नायर प्रमुख है. पौड़ी की मुख्य बोली गढ़वाली है अन्य भाषा मैं हिंदी और इंग्लिश भी यहां के लोग बखूबी बोलते है. यहां के लोक नृत्य, गीत संगीत यहां की संस्कृति की छाप संपूर्ण जगत में छोड़ती है. यहां की महिलाएं जब खेतों में काम करती है या जंगलों में घास काटने जाती है तो अपने लोक गीतों को खूब गाती है. इसी प्रकार अपने आराध्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ये लोक नृत्य करते हैं. पौड़ी के त्योहारों में सालटा महादेव का मेला, देवी का मेला, भौं मेला, सुभनाथ का मेला पटोरिया मेला प्रसिद्ध है. यहां के पर्यटन स्थल मैं कंडोलिया शिव मंदिर केतुखाल में, भेरोंगड़ी में भेरवनाथ मंदिर, बिनसर महादेव, लाल टिब्बा, ज्वालपा देवी मंदिर प्रमुख है, पौड़ी से नजदीक हवाई अड्डा जौली ग्रांट की दूरी 150- 160की.मी की दूरी पर है तथा रेलवे स्टेशन कोटद्वार है एवं सड़क मार्ग में यह ऋषिकेश, कोटद्वार एवं देहरादून से जुड़ा है.
जिले का प्रशासनिक मुख्यालय पौड़ी नगर में स्थित है. प्रशासनिक कार्यों से जिले लो 6 उपखंडों में बांटा गया है.
उपखंडों के नाम: पौड़ी उपखंड (पौड़ी व चौबट्टाखाल), श्रीनगर उपखंड, लैंसडौन उपखंड (लैंसडौन, सतपुली जाखनीखाल, रिखणीखाल), कोटद्वार उपखंड (कोटद्वार, यमकेश्वर), धुमाकोट उपखंड. इसके अतिरिक्त जिले को 25 विकास खंड में बांटा गया हैं: पौड़ी, कोट, कल्जीखाल, खिर्सू, पाबौ, थेलिसेंड, बीरोंखाल, नेनीडांडा, उमकेश्वर, पोखड़ा, रिखणीखाल, जयहरीखाल, द्वारीखाल, दुगड्डा, एकेश्वर. जिले में एक संसदीय क्षेत्र और यमकेश्चर, पौड़ी, श्रीनगर, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र है.
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