देहरादून गोलीकांड
3 अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराहा गोलीकांड की सूचना देहरादून में पहुंचते ही लोगों का उग्र होना स्वाभाविक था, इस बीच इस कांड में सहीद स्वर्गीय रविन्द्र सिंह रावत की शवयात्रा पर पुलिस के लाटीचार्ज के बाद स्थिति और उग्र हो गई और लोगों के पूरे देहरादून ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया, जिसमें पहले से ही जनाक्रोश को किसी भी हालत में दबाने के लिए तैयार पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसने 3 और लोगों को  आंदोलन में शाहिद कर दिया.
1. अमर शहीद स्वर्गीय बलवंत सिंह शजवाण (45), पुत्र श्री भगवान सिंह शजवण ग्राम मलहाड़, नयागांव, देहरादून.
2. अमर शहीद स्वर्गीय दीपक वालिया (27), पुत्र श्री ओम प्रकाश वालीया, ग्राम बद्रीपुर, देहरादून.
3. अमर शहीद स्वर्गीय राजेश रावत,(19) पुत्र श्री आनंदी देवी,27- चन्द्र रोड ,नई बस्ती, देहरादून.
स्वर्गीय राजेश रावत की मृत्यु तत्कालीन समाजवादी पार्टी नेता सूर्यकांत धस्माना के घर से हुई फायरिंग में हुई थी
कोटद्वार गोलीकांड
3 अक्टूबर 1994 को पूरा उत्तरांचल रामपुर तिराहा कांड। के विरोध में उबला हुआ था और पुलिस प्रशासन किसी प्रकार से इसके दमन के लिए तैयार था. इस कड़ी में कोटद्वार में भी आंदोलन हुआ, जिसमें दो आंदोलनकारियों को पुलिसकर्मियों द्वारा राइफल के बटों व डंडों से पीट पीटकर मर डाला.
1. अमर शहीद स्वर्गीय राजेश देवरानी.
2.  अमर शहीद स्वर्गीय पृथ्वी सिंह बिष्ट, मानपुर खुर्द, कोटद्वार.
नैनीताल गोलीकांड
नैनीताल में विरोध चरम पर था, लेकिन इसका नेतृत्व बुद्धि जीवियों के हाथ में होने के कारण पुलिस कुछ नहीं कर पाई, लेकिन इसकी भडास उन्होंने निकली होटल प्रशांत में काम करने वाले प्रताप सिंह उपर, आर.ए.एफ के सिपाहियों ने इन्हे होटल से खींचा और कब ये बचने के लिए होटल मेघदूत की तरफ भागे, तो इनके गर्दन के गोली मारकर हत्या कर दी गई.
श्रीयंत्र टापू गोलीकांड
श्रीनगर शहर से 2की.मी दूर स्थित श्रीयंत्र टापू पर आंदोलनकारियों ने 7 नवंबर, 1994 से इन सभी दमनकारी घटनाओं के विरोध और प्रथक उत्तरांचल राज्य हेतु आमरण अनशन आरंभ किया. 10 नवंबर 1994 को पुलिस ने इस टापू में पहुंचकर अपना कहर बरपाया, जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटे भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवकों को रायफलों में बट और ला डंडों से मारकर अलकनंदा नदी में फेंक दिया और उनके उपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे उन दोनों की मृत्यु हो गई.
1. अमर शहीद स्वर्गीय राजेश रावत.
2. अमर शहीद स्वर्गीय यशोधर बेंजवल.
इन दोनों शहीदों के शव 14 नवंबर 1994 को बागवान के समीप अलकनंदा नदी में तैरते हुए देखा गया.
इन सभी शहीदों को हम उत्तराखंडी लोगों का सत सत नमन
हमारा अपना उत्तराखंड
धन्यवाद