उत्तरांचल को अलग राज्य बनाने की शुरुवात सन 1957 में हुई. उत्तरांचल वासियों की मांग थी कि कई ऐसे राज्य है जिनका  क्षेत्र्फल और जनसंख्या प्रस्तावित उत्तरांचल राज्य से काफी कम है. इसके अतिरिक्त पहाड़ों का दुर्गम जीवन और पिछड़े होने के कारण इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है. अतः उत्तरांचल को उत्तरप्रदेश से अलग कर उसे संपूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.
सर्वप्रथम उत्तरांचल राज्य बनाने की मांग टिहरी के पूर्व नरेश मानवेन्द्र शाह के 1957 के आंदोलन से पूर्व ही 1952 में कमूनिस्ट नेता पी.सी जोशी ने कि थी.
1962 में चीन के साथ युद्ध के समय आंदोलन को स्थगित कर दिया गया. बाद में 1979 में उक्रांद दल का गठन मसूरी में हुआ ,22 वर्षों के आंदोलन के बाद 12 अगस्त 1992  में उत्तरप्रदेश की विधान सभा ने उत्तरांचल राज्य का प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा गया,परंतु केन्द्र सरकार से कोई भी संदेश नहीं आया. 24 अगस्त 1994 को उत्तरप्रदेश विधान सभा ने उत्तरंचल राज्य  पास कर  केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिए भेज दिया. सन 2000 में उत्तरांचल राज्य को केंद्र सरकार से मंजूरी मिली तथा 9 नवम्बर 2000 को उत्तरांचल राज्य का गठन हुआ.
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